myhalfwife


जरा ठहरो अभी   जाओ छोड़कर,

जरा ठहरो अभी  जाओ छोड़कर,
प्रान मेरा निकल जाएगा
थोड़ी देर ठहरो, फिर देखो,
नजारा ये मस्त भायेगा
छोड़कर ये दुनिया तुम्हारी
कोई आशिक चला जाएगा

ये मेरे दिल की है क्या जरुरत
ये बस तुम समझती हो,
जरा रुक जाओ,
हौले-हौले  से ये
प्रान  निकल  जाने दो
थोड़ी देर और ही सही,
कष्ट सह लो मेरे ही लिए तुम,
ये मेरी केवल एक ही निशानी होगी
तुम्हारे आँखों में हमारी अधूरी मुहब्बत की
थोड़ी देर चंचलता तो दिखावो अपनी
मेरी सांसो को रुक जाने दो
ये जिंदगी मेरी है अपनी आखिरी मंजिल पर
जरा अपनी निगाहों से कह दो की आंसू बहाये
मेरे आखिरी दहलीज पार करने तक
नीरज कुमार शुक्ल




कुछ हम दोनों में ख़ास होगी एक सी बात होगी


कुछ हम दोनों में ख़ास होगी , एक सी बात होगी
तभी तो महताब से जल कर भी जीने का मज़ा लेते हैं
बरसात के मौसम में जलने का मज़ा लेते हैं
जेष्ठ कि खड़ी दूपहरी में सैलाब का मज़ा लेते हैं
पूस कि घनी ठंडी रात में गर्मी का मज़ा लेते हैं ,
करोडो की भीड़ में अकेले होने का मज़ा लेते हैं ,
कुछ तो ख़ास बात होगी हम में ,जो हर पल का मज़ा लेते हैं
आनंद ये बहार का मज़ा लेते हैं ,
मन ही मन तुमसे मुलाकात का मज़ा लेते हैं ,
यूँ आशिक तुम्हारे बहुत होंगे ,पर
हम दोनों इक सा मज़ा लेते हैं
हर मौसमे ख़ास का मज़ा लेते हैं ,
जलते हैं लोग तो उसका भी मज़ा लेते हैं ,
जखमो से मुश्कुरा कर दुसरो को हँसाने का मज़ा लेते हैं
कुछ तो ख़ास है तुममे ,कि तुम्हारे सोलो सी,
चमकती आँखों में मज़ा लेते हैं,
तेरी सूरते ख़ास को निहार कर जीने का मज़ा लेते हैं 
कुछ तो ख़ास बात है तुममे ,ऐसे ही थोड़ी न
चाँद ये जहाँ पर तेरी नूर ये जहाँ का दीदार करते हैं
कुछ तो ख़ास बात होगी तुममे
मगरूर ये सीसा भी ,तुम्हारी सूरत दीदार कर गया
न जाने तुम आईने में कैसे आयी

कुछ तो ख़ास बात होगी तुममे , हम दोनों जीने का मज़ा लेते हैं  
नीरज कुमार शुक्ल

तू रानी बानी महलो कीमैं धोकेबाज हो गया

जिंदगी मिली आशिक़ी मिली
जिसकी तलाश में तुझ तक आये
बन्दे को मुहब्बतें  एहसास  तो मिली
पर तुझ में खुसबू किसी और की आयी ,थी तू सराबोर
यूँ तो बेइंतहां मुहब्बत तू करती है हमसे
पर तेरी निहागों में सूरत किसी और की नजर आयी
तू बेवफा भी नहीं है, ये तो तेरा ब्यापार था 
तू तो सौदागर है मुहब्बत की दुनिया में
ये तेरी भी क्या अजीब बात है
सौदा तो किया, गजब भाव से
पर सौदागर बोली गयी, और
इनामें अजब सी मिली,
तू भी नवाजी गयी मैं भी नवाजा गया
तू रानी बानी महलो की, मैं धोकेबाज हो गया
 

नीरज कुमार शुक्ल



मैं जिन्दा तो हूँ, पर जिंदगी न रही 
                
अब मैं जिन्दा तो हूँ, पर धड़कने न रही
तमन्ना तो अब भी है तुमको पाने की
ये दिल तब भी इंतज़ार करता था,
जब तुम कहते थे की तुम मेरे हो, पर  
दिल आज भी अँधेरे कोने में इंतज़ार करता है
केवल तुम अब कुछ नहीं कहती |

ख्याब बहुत जो खूबसूरत थे,
कुछ एक तो ख़ाक हो गये, पर
कुछ ख़ाक में मिला कर चले गये
कुछ राख बन गये, पर
कुछ सोले सा जला कर चले गये |

पर ये हाल बताओं किसको
ये जख़्यम दिखाओं किसको
जो जल-जल कर धुऑ हो गया
बिखरा तिनका-तिनका सा

लूट गया संसार हमारा
चूर-चूर हुआ अभिमान
हाल चूड़ बना मन का मेरे
भाव हमारे नष्ट हुये
जीवन का सारा ज्ञान, और
गीता का सार भी भूल गया
जब से नाता तोडा है उसने
मैं अपनी पहचान भी भूल गया

ऐसी दशा दिखाओ किसको,
किसको ब्यथा सुनाओं अपनी
इक ही था प्यारा हमको,
वो भी न बन सका अपना
मानो का मान था मेरा
प्राणों का अभिमान था मेरे
जीवन का स्वाभिमान था मेरे
वो भी हमको छोड़ गया,
बस थोड़ा सेक्रेट पूछ लिया
प्राणों से उसको प्यारे थे
फिर हमको छोड़ गया,
ऐसा हुआ सम्मान हमारा
खुद को बिन बारिस स्नान करा कर,
हमको यूँ ही छोड़ गयी
हमसे वो मुह मोड़ गयी

यूँ तो चाँदनी में कोई निशान नहीं
चाँद में ही २७ कलायें हैं,
दोष ही दोष महादोष है
वो दोषी को यूँ छोड़ गयी
अच्छा होता उसे कोई ख़ास मिल जाए
बिना दोष का कोई हमसफ़र मिल जाए
जिस पर नाज हो मेरे दोस्त को
उसे भी कोई मौसम हसीन मिल जाये
उसकी भी जिंदगी खुसनसीब हो जाए
उसको किसी से मुहब्बत हो गयी है
उसे बस उसकी मुहब्बत मिल जाए

मैं मुस्कुराता था, मुस्कुराता रह गया
मेरी जिंदगी को कोई और ले गया
ख्याब की तरह, नींद खुली तो खाट भी न रही
जिंदगी की ठाड़-बाट भी न रही
मैं बिखर गया तिनके की तरह,
जब हकीकत से रूबरू हुये, तो 
वो आखिरी नूर भी किसी और का हो गया
अपना हाथ फिर ख़ाक छानता रह गया   
मैं जिन्दा तो हूँ, पर जिंदगी न रही                               


नीरज कुमार शुक्ल



आओ तुमको गले लगा लूँ 

सोचता हूँ, मौत का आलिंगन करूँ मैं,
  आओ, तुमको गले लगा लूँ,
आमंत्रण  है, अभिवादन है,
  हे ! मौत की देवी तुम्हारा
मैं करूँ तुम्हारा अभिनंदन,
मान अर्पण, प्राण अर्पण
 है, धन अर्पण अपार तुमको |
कस्टों के गीत गाता हूँ,
 दिल भी इन जख्मो का करे, अभिवादन
आओ तुमको गले लगा लूँ ;
क्या बड़ी भूल कर बैठा ?
तुमको ह्रदय लगा कर ;
कुछ ख्याब गढ़ बैठा ,
कुछ किताबे लिख बैठा
कई पैन भी जख्मों से लाल हुए ,
सोचता हूँ मौत का आलिंगन करूँ मैं ,
आओ तुमको गले लगा लूँ |


खुशहाल जिंदगी थी, मस्तहाल जी रहे थे ,
तमन्नाओ सी, हाथी की चाल चल रहे थे ;
रौंदते हुए धरा, आसमाँ में चल रहे थे ,
मुस्कुरा कर, तितलियों पर बिजली गिरा रहे थे ,
पर मुलाकात ये तुमसे, मौत का आंलिगन सा हुआ,
सपने टूट गए, भुजाएं बिखर गयी मेरी
अब सोचता हूँ, मौत से आलिंगन कर लूँ
आओ तुमको गले लगा लूँ  |



 नीरज कुमार शुक्ल



   

तू मुस्कुराये तो क्या  गम है

तू मुस्कुराये तो क्या  गम है
मेरी मौत का इंतज़ार करे भी तो क्या  गम है
तू मेरे गमो पर मुस्कुराये तो क्या गम, है
तू हमको चिढ़ाए तो क्या गम है
दिल निकाल ले भी जाए तो क्या गम है
जान जाए तो भी क्या गम है
बस तू दूर है, इसी बात का गम है

आँखों को गम तुझे देखने का है
गले को गम तुझे गले से लगाने का है
बाँहों को गम तुझे बाँहों में भरने का है
हाथो को गम तुझसे दूर होने का है
ओठों को गम तुझसे बात करने का है
कानो को गम तुझको सुनने का है
सांसो को गम तेरी गर्म सांसो से दूर होने का है
दिल को गम बस तेरे आंसुओं का है

तू दूर है , अकेले रोती बहुत होगी
हवायें बता कर गयी तेरा हाल या है
अगर तू मुस्कुराये दिल के कोने-कोने से
तो हमे अपनी मौत का क्या गम है !


मस्त हाल तेरी जिंदगी हो, खुश-हाल तू जी ले
मन हो तो मेरा सर भी कलम कर ले
तू दाँतों की चांदनी से, जहां जग-गम करे तो क्या गम
ये! मेरी जिंदगी मेरी क्या हस्ती है,
तेरी मुस्कान पर तो बस्तियां ढेर हो गयीं
पर, तेरा आंसुओं से कभी रिश्ता हो
उनसे, सपने में भी मुलाकात हो,
बस तू मुस्कुरा दे , ये शमां खिल-खिला उठेगा
हमे खुशियों में कभी याद करना
दुःख में भूल जाना. बस एक इसारा कर देना


  नीरज कुमार शुक्ल


यूँ  ही हमको भूला देना

हम बीते वर्ष के राही हैं ,
हम हैं यूँ भूले भटके
चलो भूल गए हमको
पर, नए वर्ष की मंगल बेला
करे तुम्हारा स्वागत
भव्य आमन्त्रण हो तेरा
करे नए दोस्त तेरा अभिवादन
हर गली-गली हर कूचों में
नारे तेरे गाये जाए ,
नाम तुम्हारा उज्वल हो
करे तुम्हारा सब गुणगान
चलो दफन करते हैं, हम
अपने इस दिल को
कहीं कफ़न लेते हैं,
कही किसी कोने में जाकर,
बस भाव हमारा इतना सा है
तुम हर पल ही मुस्काओ     
भूले हो तो भूल ही जाना
जीवन में आगे बढ़ते जाना
हर पग-पग पर काटें हैं
ध्यान से आगे बढ़ते जाना
हर पल तुम जीवन में मुस्काते जाना
कस्ट दिया जो मैंने तुमको
उनको तुम झमा करना 
यूँ  ही हमको भूला देना
नए दोस्त के अभिवादन में
नव वर्ष करे तुम्हारा अभिनन्दन


नीरज कुमार शुक्ल


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